लेखक ने फ़ादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है?
लेखक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने फ़ादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ इसलिए कहा क्योंकि उनमें अपने प्रियजनों के प्रति अत्यधिक आत्मीयता थी वह उन पर ममता और वात्सल्य की वर्षा निरंतर करते रहते थे| बादलों की गड़गड़ाहट या बिजली की चमक, गर्मी की तपन और सर्दी की सिमुड़न उन्हें प्रियजन से मिलने से रोक नहीं पाती थी| इसी प्रकार प्रियजनों के संकट के समय ऐसी सांत्वना देते थे कि वे अपने दुख को भूल ही जाते थे| वह करुणा से भरे व्यक्ति थे जिसके मन में दूसरों के प्रति सदा मिठास भरा अमृत रहता था|